मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

झारखण्डी राजनीति में ‘ढिंका चिका’ !!


“एतना ध्यान देके अखबार में का पढ़ रहे हो, सुकुवा ? आतो (गांव) के कुल्ही में दारेबुटऽ का नीचे हम निठल्ला लोग का दुपड़ुप (बैठक) में पाँव धरते ही दिकु भइया पूछे, “एही ना, कि आज जाहेरखण्ड के मूर्ख मंत्री भीमसिंह मुंडारी केतना गो एमओयू में साइन किए, भावी दिसोम गुरु अउर वर्तमान उप-मूर्ख मंत्री शरद सोरेन मैथिली को प्रांत का अउर एगो दुसरका राजभासा बना दिए, एही ना ।”

हमको दिकु भइया का इस बात पर बड़ा ताव आया ।
 (हियाँ इ बतला दें कि दिकु भैया दिकु नहीं हैं, उ हैं, दि.कु. किसकु यानी दिलीप कुमार किसकु, हमरे ममेरे भाई, हमसे बड़े । अउर अधिकतर आदिवासियों, खासकर संतालों के तरह दूसरे का बातों में दोस ढूंढ़ने वाले)। बाकी रोज तो हम खून का घूंट पीकर दिकु भइया के कटाक्षों को चुपचाप पचा जाते थे, काहेकि उनका अधिकतर बात ठीक्के निकलता था । लेकिन आज लगता था कि दिकु भइया को इ खबर के बारे में नहीं मालूम था । मउका का फायदा उठाते हुए हम एलाउंस किए, “हाँ, आज तो दिकु भइया आप पूरा पकड़ा गए, रोज्जेरोज बोलते हैं कि अखबार में खाली एमओयू, मैथिली को राजभासा, नक्सली बोलके आदिवासी का हत्या, एही सब बुरा खबर छपता है, कोइयो अच्छा खबर छपबे नहीं करता है, लेकिन देखिए, आज एगो बढ़िया खबर छपा है, अउर आपको कुच्छो पते नहीं है !”

“अरे, सब पता है, अभी बताते हैं तुमरा अच्छा खबर” दिकु भइया बोले ।  हम तो फिर सन्न । तो का, हम जो खबर पढ़के सुना रहे थे, दिकु भइया को हमेसा के तरह मालूम था ?  पर उनका अगला बात से हमरे जान में प्रान आया । उपर से लगता था आज साम्मेसाम बंगला भी फुल डोज चढ़ा चुके थे । उनका एही सब बतवा खराब लगता है । काहे से, के हम तो ताजा-फरेस ताड़ी के सौकीन हैं । अरे प्राक्रितिक चीजवा का बाते अलग होता है ! हँड़िया, हम सिरफ परसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, अन्यथा नहीं  । तो खैर, दिकु भइया आगे बोले, “अरे, हम कल्ले न बोल दिए थे कि कोरट जितेन मरांडी को जरुड़े छोड़ देगा । अरे, एगो बेगुनाह को फाँसी चढ़ाना एतना भी आसान नहीं है ।”

हम तुरंत बोले, “दिकु भइया, सही बात है कि जितेन मरांडी का छूटना अच्छा बात है, पर इ तो सबको मालूमे था, इ कोई खबर थोड़े ही है । बढ़िया खबर तो इ हम पढ़के सुना ही रहे हैं ना ।”

“अरे, तुम का पढ़ते ही रहोगे, जिद्दा, तुम बताओ का बात है, लेकिन सॉट कट में,” दिकु भइया बोले ।

“अभी बताते हैं, भइया, बहुते खुसी का बात है,” जिद्दा भइया लप्प से बोल पड़े, “दो बड़के आदिवासी नेता, विश्वबंधु उराँव अउर करमु भगत हाथ मिला लिए हैं, मिलकर लड़ेंगे ।”  

“सही है,” दिकु भइया बोले “इ लोग मिलकर ही तो चुनाव लड़ेंगे । कम से कम जमानतवा तो बेचारों का बच जाएगा । तो एही है तुमरा बढ़िया खबर, हमरे छोटे भाई !”

“हाँ, भइया । एतना बड़का खबर को आप तो कोइयो भाव नहीं दे रहे हैं,” हम बोले, “जाहेरखण्ड अभी नेतृत्वविहीन है । अइसे में इन्ही लोगों से तो आदिवासियों को नेतृत्व का उम्मीद है ।”

कइसा नेतृत्व परदान करेंगे, इ तुमरे दागी नेताद्वय?” दिकु भइया सवाल दागे ।

गिदऽ
 भइया भी टपक पड़े, “अउर कुछ नहीं, झारखण्ड को लूटने का अउर एगो नयका साजिश है कि !” (गिदऽ भइया, ममेरे भाई, हमसे बड़े जिनको भी हम भइया लिखें, हमसे बड़े होंगे)।  

आदिवासी नेतागन एक मंच पर आकर एक नया पहल कर रहे हैं, अउर आपलोग  हैं कि उलजलूल बात किए जा रहे हैं,” हम दूनो भइया लोग का प्रतिवाद किए ।

नेतागन ... गन ... गन ... दंबूक ... पिस्तौल । अब बिल्कुले सही बोले हो, भाई हमरे,” दिकु भइया बोले एही तो पहचान है, हमरे इ नेता ... गन का । गन का बहुते इस्तेमाल करते हैं । अरे, हाल ही में न विश्वबंधु उराँव के सरकारी आवास पर छापा पड़ा था, अउर बाकी साजो-सामान के साथ ही एगो बिना लाइसेंस का गनवा भी बरामद हुआ था ?”

"जी, हाँ ! सही बोले भइया,” अबकी जवाब देने का बारी हॉपॉन भइया याने कि दिकु भइया के अपने छोटे भाई का था जो आचार-व्यवहार में उनसे बिलकुल उलट हैं
| फिर बहुत निरासा के साथ ऊ जोड़े, “लेकिन तमंचे बरामद हुआ, उनका जो सुनाम है, उस हिसाब से तो एके-47 होना चाहिए था ।”

“ठीक बोले, छोटका !” दिकु भइया बोले, “अइसे ही नहीं उनका सुनामी चल रहा है, उनके खिलाफ 10 आपराधिक मामला दर्ज है जो जाहेरखण्ड के विधायकों में सबसे ज्यादे है । उसमें से भी तीन संगीन !”

”इ संगीन का होत है ?” रमेसवा पूछा, “उही ना, जो सिपहिया लोग अपना दम्बुक में सामने तरफ लगाता है ।“

बैठकी के वरिष्ठ सदस्य लोग ठहाका लगाकर हँस पड़े ।        
 

“अरे बूड़बक ! बड़ों के बीच में मत बोलाकर,” सुरेस दा ने झेंपते हुए अपने छोटे भाई को डांटा । फिर दिकु भइया के ओर मुखातिब होते हुए पूछे, “केतना संगीन, भइयाजी ?”

”अरे हत्या के प्रयत्न के आरोप जइसे गम्भीर आरोप इन पर लगे हुए हैं,” दिकु भइया बोले, “अउर जानते हो, अपराधकर्मों में विधायकों में दूसरे लम्बर पर के चल रहा है? एही करमू भगत ।“

“हम भी छापा में सोना का बिसकुट वगैरा बरामद हुआ था, इ सब सुने थे,” सुरेस दा बोले “लेकिन छापा काहे पड़ा था, भइया ?”

”अरे, एतना जल्दी सब भुला गए,” दिकु भइया थोड़े अचरज के साथ बोले, “अरे भू.पू. मूर्खमंत्री सूदन बानरा नहीं था, उसके साथ-साथ सरकारी खजाने से घोटाला करके खदानिस्तान, माइनेरिया, आदि द्वीपों में सोने-चाँदी का खान नहीं खरीदे थे, कुच्छो यादे नहीं रखते हो ?”

”हाँ याद आ गया, साथ में प्रमुख महालेखाकार ने देसी क्रीड़ा प्रतियोगिता के आयोजन में उनके द्वारा क्रीड़ा उपकरन खरीदने में घोटाले का आरोप लगाया था । उस समय ऊ उछल-कूद मंत्री हुआ करते थे,” सुरेस दा बोले “ साथ में उनपर हस्तिनापुर  अउर जम्बुद्वीप के तमाम महानगरों में करोड़ों का लागत वाला फ्लैट सब खरीदने का आरोप भी तो लगा हुआ है ।“

”हाँ भाई, इ सब तो हय्ये है, ऊपर से राजधानी के कईयो गरीब आदिवासी का जमीन हड़पने का भी तो उनपर इलजाम है,” दिकु भइया आगे बोले, “लेकिन तुर्रा इ, कि आदिवासियों के मसीहा होने का दावा करते हैं, अउर गरीब आदिवासी का जमीन लउटाने का माँग को लेकर अनेकों बार मयूरविहार में भारी रैलियां निकाल चुके हैं ।”

“भइया, इनसे हाथ मिलाने वाला करमू भगत भी कोई साधू-भगत नहीं है । उस के खिलाफ सात आपराधिक मामले तो दर्ज हैं ही,” इस बार हॉपॉन भइया बोले, “लेकिन इस बार तो बेचारे को सर मुंडाते ही ओले पड़ गए !”

“काहे, अइसा का हो गया ?” पूछने का बारी इस बार दिकु भइया का था ।

“अरे, उसके अपने संगठन व.वि.स., याने के वनवासी विद्यार्थी संघ के लोग इस बात से बहुत नाराज हैं कि ऊ बिना पूछे-बोले
विश्वबंधु उराँव से हाथ मिला लिया । उन्होंने एलाउंस कर दिया है कि व.वि.स. से करमू भगत को निष्कासित कर दिया गया है,” हॉपॉन भइया बोले, “बकी, इ पता नहीं चल पा रहा है कि व.वि.स. अउर करमू भगत के स्वयंभू कौटिल्य याने स्वघोषित राजनैतिक सलाहकार श्री आमफल खजूर इस लड़ाई में किस तरफ हैं ।”    

“कउन आमफल खजूर ?” दिकु भइया फिर पूछे, “उही न, जो तेल कम्पनी का तेल निकालकर तेल बेचे चल दिया था, माने, चुनाव में लड़ के अपना जमानत जब्त करवा दिया था ?”

”बिलकुल ठीक पहचाने,” हॉपॉन भइया माने ।

”लेकिन इ सब पारटी में विचारधारा का कउनो जरूरत भी है का ?” दिकु भइया पूछे, “इ सब पारटी  का तो फारमूला है कि उलजलुल बकके आदिवासी लोग को भड़का दो, अउर अपना वोट बैंक बना लो ।“

”ठीक कहते हैं, भइया,” इस बार जिद्दा भइया बोले, “इस बार जब दूनों बड़के नेताओं ने हाथ मिलाया, तो उस अवसर पर एगो प्रेसकॉन्फ्रेंस  कम जनता दरबार लगाया गया रहा । उसमें
विश्वबंधु उराँव का प्रोपेगैंडा इनचार्ज प्रो. ओमजय  कर्मकार जब सबसे पथ-प्रदर्शन करने का ढकोसला किया तो स्वनामधन्य आदिवासी पत्रकार पी.के. धुत सलाह दिए कि पारटी को मुद्दों पर चरचा करना चाहिए । इससे उत्साहित एक आदिवासी कार्यकर्ता भगवती उराँव जइसे ही विचारधारा का बात करने लगा, प्रोपराइटर कर्मकार के इसारे पर उसके गुंडे उसको धकियाकर बाहर कर दिए ।”
 
एतने में अखबार वाला आ चहुँपा । जिद्दा भइया उससे ताजा अखबार झपटे अउर उस पर सरपट नजर दउड़ाने लगे । अचानक ही चिल्लाकर बोल पड़े, “ब्रेकिंग न्युज ! संबिधान बिसेसग्य बोल रहे हैं कि कोई स्वतंत्र विधायक नया पारटी नहीं बना सकता । अइसा करना किसी राजनीतिक पारटी में शामिल होना होगा, जो कि संबिधान के  दसवें अनुसूची का उल्लंघन होगा ।”            

“धत तेरे का !” गिदऽ भइया बोले, “इ तो उही बात हो गया, कि खोदा पहाड़, और निकला दूगो मरियल चूहा !!”

इस बार सारे उपस्थित लोग, क्या बूढ़े, क्या बच्चे, सब ठहाका मारकर हँसने लगे ।           

“आपलोग बहुत उलटा-सीधा बोल लिए,” हम बोले, “अरे एतने दिनों के बाद आदिवासी नेतृत्व एकजुट हुआ है, तो आपलोग को उसका स्वागत करना चाहिए अउर उसके दीर्घ जीवन का कामना करना चाहिए ।”

“अरे, काहे का दीर्घ जीवन !” दिकु भइया बोले, “अइसा दो नेता हाथ मिलाया है, जो ढेर दिन नहीं, बस दु साल पहले जाहेरखण्ड विधायिका का चुनाव में एक नहीं, दू-दू चुनाव क्षेत्रों से एक-दुसरे के खिलाफ लड़ा था, उसका इ दिखावटी दोस्ती बारह महीनों से जियादे टिक नहीं सकता।  
इ दिकु बाबा का भविष्यवाणी है ।”    

बस, रमेसवा को मउका हाथ लग गया अपना पहिले का गलती सुधारने का । हुंआ जमा बच्चों के तरफ देखते हुए ऊ नारा लगाया, “दिकु बाबा काऽऽऽ ...”  

उपस्थित बालवृन्द समवेत हर्षनाद किया, “जय !!”

दिकु बाबा, हमरा मतबल है, दिकु भइया, प्रसन्न भए । बंगला के सुरूर में बोले, “अउर इ दूनों नेता अपना मीठा-मीठा बात से इस बेचारी झारखण्डी आदिवासी जनता को अगले बारह महीनों तक बेवकूफ बनाते रहेगा अउर उसको गाना गाके सुनाते रहेगा ।”

”क्या गाएगा ?” हम चकराकर पूछ बइठे ।

”आशुगीत अर्ज़ है, फिल्म ‘रेडी’ के लोकप्रिय गाने के तर्ज़ पर,” दिकु भइया बोले ।

“बारह महीने में, बारह तरीके से,
तुझको ‘खूफिया’ बनाउंगा, रे
ढिंका चिका ढिंका चिका
ढिंका चिका ढिंका चिका    
रे अई अई अई अई ...”    

 * * *


(इस लेख में वर्णित सभी पात्र एवं स्थान काल्पनिक है । किसी वास्तविक व्यक्ति या स्थान के साथ सम्भावित साम्य संयोगमात्र है ।)






5 टिप्‍पणियां:

  1. Suuuperb take....

    Yeh Dono Bhaiya Mein Se, Ek Bhai Apni Kismet Aane Wale Lok Sabha Election Mein Aajmaiga....Lohardaga/Gumla Seat.....

    Magar Dono Mein Se Koi Bhi Jeet Nahin Payeega....

    Kyunki "Aam-Janta" Ka Kaam to Karte Nahin Hain Bus "Hawa Baazi" Karte Hain.....

    Waise Lohardaga/Gumla Seat Ke BJP Ke MP Shahib Bhi "Aam-Janta" Ka Kaam Nahin Karte....

    Kya Karein Jharkhand Hai....Kaam Karke "Election" Tode Hi Jeeta Jata Hai.....

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  2. आपका बहुत-बहुत आभार, focusmagazine !

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