शनिवार, 5 नवंबर 2011

मा. इनोसेंट सोरेन का और एक ऑडियो - सांथाल पारगाना सोना दिसोम


आपके खिदमत में हमरे दादा मानोतान इनोसेंट सोरेन के पुरस्कार विजेता एलबम ‘हुल मातकॉम लाठे’ से अउर एक  सुंदर गीत पेस करते हुए हमको बहुत खुसी हो रहा है !  इस गीत को तो संताल परगना का दिसोमगान घोषित कर देना चाहिए!  



सांथाल पारगाना सोना दिसोम

“सांथाल पारगाना हो सोना दिसोम
बिर बुरु ते, गाडा सॉडॉक् ते
दारे नड़ी ते साजावाकान
आतो सिम को राग साँवते
बिर चेंड़ें को चेरो-बेरोक्
मानवा को राग साँवते
मानवा को हॉहॉय साँवते
चान्दॉय गोंङा”


SANTHAL PARGANA SONA DISOM
Santhal Pargana ho Sona Disom
Bir buru te̠ gaḍa so̠ḍok̓ te
Dare nạṛi te̠ saja
oakan
Ato sim ko rag sãwte̠
Bir cẽ̠ṛẽ̠ ko ce̠ro̠-be̠ro̠k̓
Manwa ko rag sãwte̠
Manwa ko ho̠ho̠y sãwte̠
Cando̠y goṅa

हिन्दी अनुवाद:
संताल परगना, सोने सा देश
“संताल परगना, सोने सा देश
वनों-पर्वतों से, नदियों-नालों से
वृक्षों-लताओं से सजा हुआ है 
गाँव के मुर्गों के बांग देते ही
वनपक्षी चहचहाने लगते हैं
मानवों के रोते ही
मानवों  के पुकारते ही
ईश्वर प्रत्युत्तर देते हैं”

गीत व संगीत: (स्व) फादर एंथनी मुर्मू
गायन: मानोतान इनोसेंट सोरेन
स्रोत: 'हूल मातकोम लाठे' एल्बम
अनुवाद: आपका सेवक







 

1 टिप्पणी:

  1. इनोसेंट भाई, आपको हम प्रवासी आदिवासी भाई-बहनों की ओर से इस खुबसूरत गीत, संयोजन और प्रस्तुति के लिए तहेदिल से धन्यवाद और भविष्य की योजनाओं के लिए शुभकामनायें। संथाली गीत के अहुवाद से गीत का सार समझ में आया जो बहुत ही अच्छा लगा।

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