शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

किसी संताल द्वारा लिखा गया अउर छपा पहला अंगरेजी उपन्यास



जहाँ तक हमरा सीमित जानकारी है, किसी संताल आदिवासी द्वारा लिखा गया अउर छपने वाला पहला अंगरेजी उपन्यास <‘It's Dying Time - A Chilling Indian Thriller’> है ।
इसे जामताड़ा जिले के अमित बेसरा लिखे हैं जो हमरे जातभाई हैं ।

इसलिए भाईयों अउर बहनों, अगर आपको आदिवासी साहित्य के बारे में पुस्तक अउर जानकारी इकट्ठा करने का शौक है, तो इस किताब को आप ज़रूर हासिल कर लें ।

 अफसोस, इस किताब का हम एतना ही पैरवी कर सकते हैं, अउर ऊ भी अपना जातभाई होने के नाते ।

सबसे पहला बात, इ बहुत ही छोटा उपन्यास है, इसे लघु उपन्यास कहना भी पता नहीं कहाँ तक ठीक होगा ? इस लघु उपन्यास में सिरफ 56 पेज हैं, अउर औसतन प्रत्येक पेज में मात्र 200 शब्द । इसके विपरीत अन्य भारतीय उपन्यास, जइसे चेतन भगत के लिखे हुओं में इससे काफी ज्यादा मॅटेरियल होता है । चेतन भगत के पाँच उपन्यास 206 से लेकर 296 अउर औसतन 256 पेज के हैं अउर ऊपर से औसतन हर पेज में काफी ज्यादा शब्द । एगो अंगरेजी उपन्यास में औसतन तीन से चार सौ शब्द होते हैं ।

जहाँ तक पुस्तक के मूल्य का बात है, चेतन भगत का हर किताब मात्र 140 रुपए का है, अउर आप फ्लिपकार्ट से मंगाएंगे तो मात्र 91 रुपए में मिलेगा, जब कि इस किताब का दाम 150 रुपए है, अउर उस पर डिस्काउंट मात्र सात रुपए ।

अब उपन्यास के कथ्य पर आते हैं । इ एगो फंतासी नॉवेल है जिसका मूल कथा हमरे द्वारा बचपन में पढ़े एगो कॉमिक्स से काफी मिलता है । जहाँ तक हमको इयाद है, ऊ कहानी किसी इन्द्रजाल कॉमिक्स के आखिर में दिया हुआ था । उसमें देखाया गया था कि एगो आदमी को एक ग्रैंडफादर क्लॉक मिलता है । हर घंटे के पूरा होने पर जब घंटा बजने लगता था तब उस घड़ी का डायल किसी टीवी के तरह उस समय हो रहे किसी दुर्घटना को देखलाता था । आखिर एक दिन उ व्यक्ति अपना ही मौत का नजारा देखा कि किस तरह उ उसी क्लॉक के नीचे ही दबकर मर रहा है ।

उपन्यास किसी लेखक के पहले उपन्यास के तरह काफी हद तक आत्मकथात्मक है, याने कि “भोगा (या जिया) हुआ साहित्य” । उपन्यास के नायक का नाम अउर लेखक का नाम बिलकुल मिलता-जुलता है ।इसी तरह पुस्तक के प्रारम्भ में दिए गए Acknowledgements में लेखक के होनेवाली पत्नी अउर नायिका का नाम बिलकुल मिलता-जुलता है (अउर सेवक क्षमा चाहेगा, उसका एगो विश्वस्त सूत्र बताया है कि लेखक के भावी पत्नी अउर नायिका का पृष्ठभूमि भी एक है, लेखक के सुखी भावी दाम्पत्य जीवन के लिए सेवक का शुभकामना), लेखक अउर नायक दोनों एक ही युनिवर्सिटी से पढ़े हैं ।  चेतन भगत के आविर्भाव से जिस तरह से लेखकों का बाढ़ आ गया है, अउर सभी के रचनाओं में ‘कैम्पस जीवन’ के दर्शन होते हैं, उसी तरह का इ नॉवेल है । आधे में कैम्पस जीवन अउर बाकी में फंतासी । 

अब उपन्यास के बारे में का बोलें ?? सुधी पाठकगण अगर अपने खादिम के बिहारी हिन्दी को माफ कर दें अउर आगे का ख़ता मुआफ कर दें, तो खाकसार इस उपन्यास का भी कुछ आलूचना कर देगा । इस उपन्यास का जो भासा है, उ लगता है कि किसी बारहवें स्टैंडर्ड के विद्यार्थी का है ।
इंडलिश का तो भरमार है । मुलाहिजा फरमाएंगे :-
The home, yellowish in colour, ..”, ‘हाउस’ के बदले,
“The faculty had arrived.”, एक ही शिक्षक के लिए,
“Most of the staffs leave right on time, ..” ‘मेम्बर्स ऑफ द स्टाफ’ के बदले,
“Now it was time for both of them to keep the phone.” ‘एंड द कॉल’ के बदले,
“Sitting in latest Pulsar 150, ..” ‘पिलियन राइडिंग ऑन’ के बदले,
“small streets ..”, ‘नॅरो या शॉर्ट के बदले,
“pant”, ‘ट्राउज़र्सया ‘पैंट्स’ के बदले,
“night duty”, ‘नाइट शिफ्ट’ के बदले,
“in”, बहुत जगह पर जहाँ ‘ऑन’ का प्रयोग होना चाहिए,  वगैरा, वगैरा ।

लेखक बहुत जगह पर बहुवचन के बदले एकवचन से ही काम चलाते हैं ।
इसी तरह वर्तमानकाल - भूतकाल का भी बहुत गड़बड़ी है । 

इस किताब में तमाम अशुद्धियाँ हैं, खासतउर से प्रूफ-रीडिंग का । विडम्बना है कि लेखक को प्रूफ रीडिंग का अर्थ शायद मालूम नहीं है, काहेकि ऊ इस सब्द का इस्तेमाल बिलकुल ही अनूठे अर्थ में करते हैं :- प्रूफ (सबूत) जुटाने के अर्थ में ।
हम इस्पेलिंगवा का गलती भी प्रूफ रीडिंग के गलतियों में शामिल किए हैं, जइसे :-
bodygaurd, querry, quitely, rumbels, showed (shoved के बदले) , doze (dose के बदले), crossword (crossroad के बदले) वगैरा, वगैरा ।

प्रूफ रीडिंग के बाकी गलतियों में कॉमा अउर सिंगल एपॉस्ट्रॉफी का इस्तेमाल नहीं होना भी शामिल है ।
इसी तरह किसी संवाद का अंतिम पंक्चुएशन मार्क डबल कोट्स (डबल एपॉस्ट्रॉफी मार्क्स) के बाहर इस्तेमाल किया गया है, जो कि बहुत खटकता है ।

जहाँ तक रचना के गुणवत्ता का बात है, हमरे फेसबुक मित्र सर्वश्री सुन्दर मनोज हेम्ब्रॉम अउर आन्द्रेयास टुडु इस लेखक से मीलों आगे हैं । सुन्दर मनोज भाई तो खैर किसी अन्य विधा में लिखते हैं, परंतु  आन्द्रेयास दा के थ्रिलर इस उपन्यास से कई गुना ज्यादा चिलिंग अउर थ्रिलिंग हैं ।             

फिर भी हम लेखक के भावी जीवन के लिए मंगलकामना करेंगे कि अपने शुरुआती गलतियों से सबक लेते हुए उ भविष्य में बेहतर रचनाएं सृजित करेंगे !  

इ किताब सितम्बर 2010 में प्रकाशित हुआ था । बाकी जानकारी आप खुद नीचे के कड़ी में देख लेवें :-

http://www.flipkart.com/books/9381205044?_l=gWxQa0snNjHUHKJhnj_y0w--&_r=0yufFq70Y9KDDaiQTaItxA--&ref=07d1048d-302b-401a-8504-9806f3a5c097





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें