बुधवार, 6 जनवरी 2010

‘अवतार’ और संताल

अभी पिछ्ले दिनों हम भी ‘अवतार’ फिलिम देख लिये. अहा-हा, डायरेक्टर जेम्स कैमरन की जय हो. क्या फिलिम बनाये हैं संताल परगना पर और संतालों पर. देख कर दिल खुश हो गया. कुछ देर के लिये हम संतालों का तमाम दुख-तकलीफ भुला गये. डायरेक्टर ने प्राचीन संताल परगना के अनछुए नैसर्गिक सौन्दर्य का बड़ा ही मनमोहक फिल्मांकन किया है. देखकर लगता ही नहीं है कि हमरा संताल परगना कभी इतना खूबसूरत रहा होगा. इस बारे में जितना भी बोलें, कम पड़ेगा. इसलिये चलिये, फिलिम का कहानी के तरफ.

कहानी है कि दिकुऑं (शोषकों, शोषक वर्ग) ने संताल परगना के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना सुरू कर दिया है. इसे काम के लिये उन्होने साम, दाम, दंड, भेद, सभी का रास्ता लिया है. कहानी में आगे पता चलता है कि संतालों की जो बस्ती है, उसके ठीक नीचे बेसकीमती खनिज पदार्थ का भंडार है. दिकु फिलिम के हिरो को एक संताल के चोले में संतालों के पास भेजते हैं ताकि वो उनके भेद ले कर बस्ती खाली करा सके. वहां उ संतालों के महान जीवन-दर्शन से परिचित होता है और एक संताल लड़की से प्रेम कर बैठता है. इसके बाद उसे पता चलता है कि बाकी दिकु किसी भी कीमत पर खनन कार्य तुरंत सुरू करना चाह्ते हैं चाहे इसके लिये सारे संतालों को मार कर संताल बस्ती को जला कर राख काहे नहीं कर देना पड़े. इ जानकर हिरो का हृदय परिवर्तन हो जाता है और उ दिकुओं के खिलाफ लड़ाई में संतालों का साथ देता है. दिकुओं के पास अत्याधुनिक हथयार हैं और संतालों के पास परंपरागत तीर-धनुष और दिकु हिरो की मदद. फिर भी जीत किसकी होती है ... ? संतालों की. फिलिम के अंत में संताल हिरो को अपना लेते हैं.

फिलिम का निर्देशन, संपादन, कलाकारों का अभिनय, स्पेशल इफेक्ट्स, कंप्युटर जनरेटेड इमेजरी, आदि सब कुछ बव्वाल है. इस बारे में टिप्पणी करना हमरे बूते के बाहर है. हमरी घोषणा है – फिलिम सुपरहिट है, हर किसी को देखनी चाहिये और खास तौर से संतालों को.

हम फिलिम देखकर घर लौटे और हमेशा की तरह आतो (गांव) की कुल्ही में दारे-बूट की दुपड़ुप (बैठक) में पूरे जोश के साथ चालू हो गये. लोगों (अधिकतर) ने मंत्र-मुग्ध हो कर सुना.

और फिर एक सिरे से हमरी बातों को खारिज कर दिया.

दिकु भैया बोले, “इ सब तो फिलिमे में होता है, सब मनघड़ंत बात है. (यहां इ बतला दें कि दिकु भैया दिकु नहीं हैं, उ हैं दि. कु. किसकु, यानी दिलीप कुमार किसकु, हमरे ममेरे भाई, हमसे बड़े. और अधिकतर संतालों की तरह दूसरे की बातों में दोष ढूंढ़ने वाले)

हम फौरन जवाब दिये, “इ बतवा तो सबको मालूम है कि अधिकतर फिलिम में कहानी मनगढ़ंते होता है. लेकिन फिलिम की इस्टोरी को आप एक दृष्टांत समझें.”

उ बोले, “ ठीक है. इसका मतलब परी कथाओं में भी दिकुओं के शोषण के खिलाफ संताल बिना किसी दिकु के मदद की कुछ नहीं कर सकते.”

जिद्दा भैया बीच में बोले, “बिल्कुल ठीक. दिसम गुरु को ही देख लिया जाय.”
(जिद्दा भैया हमरे मौसेरे भाई और गुरु होने के साथ-साथ हमरे अंतरंग मित्र हैं, हमसे बड़े.)

गिद भैया भी टपक पड़े, “इसीलिये तो कल दिसम गुरु की ताजपोशी के वक़्त सभी गांव वाले नारा बुलन्द कर रहे थे, कि
“दिसम गुरु गद्दी में, सारे संताल नद्दी में”” (गिद भैया, ममेरे भाई, हमसे बड़े – जिनको भी हम भैया लिखें, हमसे बड़े होंगे)

दिकु भैया खुद बात आगे बढ़ाये, “अरे, पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में दिकु नक्सल एही बतवा तो संतालों को समझा रहें हैं. हमको तो लगता है कि इ फिलिम नक्सलवे सब बनवाया होगा.”

जिद्दा भैया जवाब दिये, “एही हमारी समस्या है, कि हमारी समस्याओं का समाधान दिकु तलासते हैं. हम नहीं. और आज तो संतालों के एक तरफ दिकु सरकार है, और दूसरे तरफ नक्सल भाई. इधर कुंआ, उधर खाई.”

दिकु भैया बोले, “दिकु लोग तो हम लोग को खदेड़ते ही जा रहा है . कल पैन एम वाले खदेड़ा था, आज गोएनका ग्रुप खदेड़ रहा है. एक बेचारी मुन्नी हांसदा विस्थापन के खिलाफ खड़ी हुई थी, उसको वोट नही दे के तुम लोग पूंजीवादी के दलाल को वोट दे दिया. संताल का का होगा? कदुआ.”

जिद्दा भैया उपसंहार किये, “एही तो संताल की त्रासदी है कि हम हमेशा खदेड़े जाते रहे हैं और खदेड़े जाते रहेंगे. आज इस मुकाम पे हैं, कल पता नहीं, अपना कोई पता होगा या नहीं. और इ हमारी बानी नही है, आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले गुरु कोलियान हाड़ाम, मारे ‘हापड़ाम कोवाक् पुथी' में कह के गये हैं.”

हम देखे कि बैठकी में मौजूद नवयुवाओं का ग्रुप ध्यान से हमरी बातों को सुन रहा था.हम उम्मीद का एक ठन्डा सांस लिये, शायद इन्ही में से कोई ऐसा जवान उभरे जो संतालों पर होने वाले जुलुम को मिटा सके.

12 टिप्‍पणियां:

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  2. ধন্নবাদ বিবেকানন্দ ভাই। আমার সম্বন্ধে আপনার এত ভাল-ভাল কথা সুনে অনেক আনন্দ পেলাম। কিন্তু আপনার সম্বন্ধেও আমার এই রকমি খুব ভাল ধারনা।অরকুটে আপনার প্রগ্রেসিভ থিঙ্কিং দেখতে পেয়েছহি। আবার ধন্যবাদ, আর অনুগ্রহ, যে আপনার মতামত পাঠাতে থাকবেন।

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  3. mindblowing imagination !
    the scene in which the Nabis worship under their sacred tree reminds me of Jaaher-than. Hoping to see the people understand the similar situations happening around in real life.

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  4. धनियाबाद. इसी तरह टिप्पणी करते रहिये ...

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  5. बहुत सही सुकुमार जी !!, अवतार मूवी और हम संथालों के बीच में जो Analogy अपने प्रस्तुत किया है, वह काफी सराहनीय है ! वास्तव में मेरी सोच सोच से नाबी लोगो और संथालों के बीच में काफी समताये हैं, जिसके बारे में हमने पहले दयान नहीं दिया था, पर आपके ब्लॉग ने मुझे एक अलग दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है...जो अवतार मूवी में हुआ था, लग रहा है वोह अभी भी कहीं न कहीं, हमारे आस पास, हम संथाल लोग और दिकु लोग में हो रहा है... पर यहाँ एक बात दिफ्फेरेंत है... मूवी में सब नाबी लोग एक जुट थी , पर हम संथाल लोग काफी बिखरे हुए है, और सब अपने आप में व्यस्त हैं...खास कर जो संथाल लोग सहर में रह रहे हैं...अगर समय रहते हमलोग ने दयान नहीं दिया तोह हमारा अस्तित्व है खतरे में पड़ जायेगा , मूवी की तरह कोई परजीवी हमें बचने नहीं आएगा...!!

    ~बिजय कुमार सोरेन

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  6. धनियाबाद बिजय जी. हम आपसे पूरी तरह सहमत हैं.

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  7. sukumar ji blog achha laga. can i talka to u? pls give me ur mob no. Mine is --
    -9199443360
    prabhat khabar
    zeb.akhtar@gmail.com

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  8. sukukmar ji aapka blog accha laga. can i talk to u?
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  9. सलाम ज़ेब अख्तर भाई। आपका बहुतेबहुत सुकरिया के आप इस नाचीज़ के ब्लॉग को किसी लायक समझा। और आप तो इस ब्लॉग को एतना इज़्ज़त बख्शा, और प्रभात खबर पेपर में इसके बारे में एतना खबसुरत खबर छापकर हमरा एतना हौसला अफज़ाई किये इसके लिये आपका तहेदिल से सुकरिया। और देर से जवाब देने के लिये हम आपसे बहुत माफी चाहते हैं। क्या बोलें, हम तो संताल परगना का गरीब आदमी हैं। इंटरनेट तक कम ही पहुंच पाते हैं। आपका टिप्पनी आठ-दस दिन पहले ही देखा पर समय का कमी से आपको जवाब नहीं दे सके। आप सायद खबर छापने के पहले हमसे मिलना चाहते थे पर हमको तो इस बात का पता बहुत देर से चला। खैर, कोई बात नहीं, फिर कभी सही। एक बार फिर से सुकरिया।
    सुकुमार

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  10. आपका आभार, धनबाद और सुकरी या ! अजित बोइहा !!

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  11. Bhai,
    Yah Blog aur is par dee jaa rahi saamgri vakai achchhi hai. Badhai.
    RK Nirad
    Journalist
    DUMKA
    9431177865

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