बुधवार, 20 जनवरी 2010
‘आदिवासी स्वशासन’
झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में त्रि-स्तरीय पंचायती व्यवस्था न लागू कर पेसा की धारा 4(ओ) के अनुसार संविधान की छठी अनुसूची की तर्ज़ पर स्वशासी ज़िला परिषदों की स्थापना की जानी चाहिये और केवल आदिवासी गांवों/ बस्तियों में ग्राम सभा का गठन किया जाना चाहिये. झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में गैर-आदिवासी केवल स्वशासी ज़िला परिषद के मतदाता/ सीमित पदों के लिए उम्मीदवार के रूप में स्थानीय स्वशासन में हिस्सा ले सकेंगे और ग्राम स्तर पर उनकी कोई भूमिका नहीं होगी. इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है. झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में गैर-आदिवासी ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन में भागीदारी करने की बात अगर भूल जाएं तो उनके और आदिवासियों के लिये बेहतर होगा. अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन का अर्थ है ‘आदिवासी स्वशासन’.
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